कल की सुबह कुछ जवाबों का इंतज़ार करती है ...
कल की सुबह नया पैग़ाम लाएगी
आओ ख़्वाबों को तराशें , मैं भी तराशुं , तुम भी तराशो
कोई बुत इरादों की , पत्थर की लकीरों में क़ैद जो ,
रिहाई पाकर , इन लकीरों को अर्थ दे ही जाएगी ...
कल की सुबह नया पैग़ाम लाएगी
आओ ख़्वाबों को तराशें , मैं भी तराशुं , तुम भी तराशो
कोई बुत इरादों की , पत्थर की लकीरों में क़ैद जो ,
रिहाई पाकर , इन लकीरों को अर्थ दे ही जाएगी ...