बेखुदी
-मञ्जूषा हांडा
अनोखी सी आज़्माइश यह,
नये प्यार के एहसास का
अनोखा यह तरीका है
बेतुकी बातों का वक़्त
बहुत है कीमती,
के बेवजह इन लम्हों में
प्यार होते देखा है!
इन लम्हों के आगोश में
दुनिया को भुला कर
बेखुदी के इस आलम में
होश ढूंड लेते हैं!
बातों ही बातों में
क्या कुछ न समझ कर,
नए इस एहसास को
दामन में छुपा लेते हैं!
अनोखे इस एहसास से
होता सदा है ताजुब यह,
के कितने ही जज़बातों की
आज़माइश अभी बाकी है!
यह मदहोशी के पल ही होशमंद हैं
के इस ही चाहत ने खुशियों का
सिलसिला छुपा रखा है!
-मञ्जूषा हांडा
अनोखी सी आज़्माइश यह,
नये प्यार के एहसास का
अनोखा यह तरीका है
बेतुकी बातों का वक़्त
बहुत है कीमती,
के बेवजह इन लम्हों में
प्यार होते देखा है!
इन लम्हों के आगोश में
दुनिया को भुला कर
बेखुदी के इस आलम में
होश ढूंड लेते हैं!
बातों ही बातों में
क्या कुछ न समझ कर,
नए इस एहसास को
दामन में छुपा लेते हैं!
अनोखे इस एहसास से
होता सदा है ताजुब यह,
के कितने ही जज़बातों की
आज़माइश अभी बाकी है!
यह मदहोशी के पल ही होशमंद हैं
के इस ही चाहत ने खुशियों का
सिलसिला छुपा रखा है!