सवाल जवाब ...
ख्व़ाब को समेटने से पहले ख्वाब उड़ जाएँ तो क्या हो…
जो ख़्वाबों को पंख होते , हम हज़ारों उड़ान भरते ...
नए ख़्वाबों की जुस्त-जू में उलझ के ,ज़िन्दगी के कई रहस्य सुलझते !
ख्व़ाब को समेटने से पहले ख्वाब उड़ जाएँ तो क्या हो…
जो ख़्वाबों को पंख होते , हम हज़ारों उड़ान भरते ...
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