नन्हे मेरे फरिश्ते
-मञ्जूषा हांडा
घर के नन्हे, बड़े ही चुलबुले
शैतानी भरी, नस नस में उन्के!
मचाते हर वक़्त, उधम तूफ़ान
पर प्रिय सबको, इनमें बस्ती सबकी जान!
इन्हें गर्व बड़ा, अपनी बदमाशियों का
पर बड़े जान लें, सीधा साधा मकसद इन्का
इनकी इच्छा, खुशियाँ फेलाएं चारों और
चाहे भई सांझ, दोपहर या फिर भोर!
ये जो रूठें, जानलो शामत अब सबकी आई
इन्की अप्रसन्नता, घर आँगन में आफत लाई!
लाल पीली आँखें इन्की, नाक पे बैठा इन्के गुस्सा
दरअसल अन्दर से ये मोम, बाहर का हठ सब झूठा!
सबका ध्यान हो इन पर केन्द्रित, ऐसी इनकी मंशा
सबको आकृष्ट किये बिना, सुकून इन्हें ना मिल्ता!
थोडा लाड़, ढेर प्यार, इन्हें शांत करने का येही इल़ाज
भलाई सबकी इसी में मानो, जब रहे इनके दुरुस्त मिज़ाज़!
ओ नन्हे मेरे फरिश्ते, तुझसे है दिल का रिश्ता
तुझसे ही ज़िन्दगी है, इन साँसों के चलने का, तुझसे नाता!
नाज़ुक से फूल मेरे, तुझसे बहार इस चमन में
खुशबू से तेरी मेहेके, यह गुलिस्तां हर मौसम में!
दुआ यह मेरे रब से, मासूमियत तेरी संजोके,
संतुष्ट जीवन की धारा, बरकरार यूँही रखे!
ओ नन्ही मेरी परी तुम, आई हो तुम जहां से
झिलमिल सितारों का आँगन होगा,प्रेम बटोरा तुमने वहाँ पे!
रिमझिम बरसती उदारता भी,ले आई हो तुम वहाँ से,
अनुराग का प्रतिबिम्भ बनकर,करुना की परिकाष्टटा तुम्ही से!
-मञ्जूषा हांडा
घर के नन्हे, बड़े ही चुलबुले
शैतानी भरी, नस नस में उन्के!
मचाते हर वक़्त, उधम तूफ़ान
पर प्रिय सबको, इनमें बस्ती सबकी जान!
इन्हें गर्व बड़ा, अपनी बदमाशियों का
पर बड़े जान लें, सीधा साधा मकसद इन्का
इनकी इच्छा, खुशियाँ फेलाएं चारों और
चाहे भई सांझ, दोपहर या फिर भोर!
ये जो रूठें, जानलो शामत अब सबकी आई
इन्की अप्रसन्नता, घर आँगन में आफत लाई!
लाल पीली आँखें इन्की, नाक पे बैठा इन्के गुस्सा
दरअसल अन्दर से ये मोम, बाहर का हठ सब झूठा!
सबका ध्यान हो इन पर केन्द्रित, ऐसी इनकी मंशा
सबको आकृष्ट किये बिना, सुकून इन्हें ना मिल्ता!
थोडा लाड़, ढेर प्यार, इन्हें शांत करने का येही इल़ाज
भलाई सबकी इसी में मानो, जब रहे इनके दुरुस्त मिज़ाज़!
ओ नन्हे मेरे फरिश्ते, तुझसे है दिल का रिश्ता
तुझसे ही ज़िन्दगी है, इन साँसों के चलने का, तुझसे नाता!
नाज़ुक से फूल मेरे, तुझसे बहार इस चमन में
खुशबू से तेरी मेहेके, यह गुलिस्तां हर मौसम में!
दुआ यह मेरे रब से, मासूमियत तेरी संजोके,
संतुष्ट जीवन की धारा, बरकरार यूँही रखे!
ओ नन्ही मेरी परी तुम, आई हो तुम जहां से
झिलमिल सितारों का आँगन होगा,प्रेम बटोरा तुमने वहाँ पे!
रिमझिम बरसती उदारता भी,ले आई हो तुम वहाँ से,
अनुराग का प्रतिबिम्भ बनकर,करुना की परिकाष्टटा तुम्ही से!