ज़िन्दगी की उड़ान
-मञ्जूषा हांडा
अंजानी आवाज़ें सुनती हूँ
इन्पे भरोसा कैसे हो पाये
बस दिल से दो बातें कर लूँ
कल वक़्त जो थोडा मिल जाए
मन के झरोखे खोल दूँ
गम-ओ-खुशि का तजुर्बा हो पाये
जो अश्कों की गंगा में बह लूँ
जुनून-ओ-अमन का साहिल मिल जाए
एहसासों को दिल में आने जाने दूँ
सांसें दिल की खलाओं में भर पाएँ
सब फिक्रें हवा में उदाऊं यूँ
ज़िन्दगी की उड़ान काबू में आ जाए !
-मञ्जूषा हांडा
अंजानी आवाज़ें सुनती हूँ
इन्पे भरोसा कैसे हो पाये
बस दिल से दो बातें कर लूँ
कल वक़्त जो थोडा मिल जाए
मन के झरोखे खोल दूँ
गम-ओ-खुशि का तजुर्बा हो पाये
जो अश्कों की गंगा में बह लूँ
जुनून-ओ-अमन का साहिल मिल जाए
एहसासों को दिल में आने जाने दूँ
सांसें दिल की खलाओं में भर पाएँ
सब फिक्रें हवा में उदाऊं यूँ
ज़िन्दगी की उड़ान काबू में आ जाए !